ब्रजेश जैन, अंतिम अपडेट : सोमवार, 18 सितंबर, 2017
“मैं किसी पार्टी के
खिलाफ ज़हर नहीं उगल रहा हूं मेरे लिए वो तमाम नेता/अधिकारीगण अपराधी हैं जो कि इस
घोटाले शब्द का हिस्सा हैं, चाहे वो कांग्रेस, बीजेपी का हो या फिर किसी दूसरी/अन्य पार्टी का, हैं तो सब एक ही
थाली के चट्टे-बट्टे, लेकिन झेलता आम इंसान ही है”...
यही सच्चाई है आप इस पर यकीन करें या फिर...
पिछले कई सालों से इन नेताओं की जुमले बाजी सुनकर मेरे कान
में दर्द होने लगा, तो सोचा कि अब थोड़ा
दर्द इन्हें भी दे दूं ताकि कुछ एहसास इन्हें भी हो जाए...कि आम आदमी का दर्द कैसा
होता है, इसलिए मैंने घोटाले जैसे बड़े विषय पर सच्चाई को
आइने पर उतारने की कोशिश की है...हालांकि इस विषय पर बहुत लोगों ने बहुत कुछ लिखा
है पर बदलाव फिर भी नहीं आया, लेकिन मैं ऐसा नहीं
कहता कि मेरे लिखने से कोई बदलाव आएगा, परंतु किसी के जले पर नमक तो गिरेगा ही...
मैंने इस विषय पर लिखने से पहले इसके बारे में बहुत सोचा, समझा और पढ़ा, तब जाकर इस भयानक सच के बारे में यकीन जल्दी हो गया औऱ सच
को जल्द ही जान लिया...यकीन इसलिए हो गया क्योंकि भष्टाचार हमारे समाज का एक
हिस्सा बन चुका है और जिस पर लगाम लगाना किसी के वश में नहीं है...
संती-मंत्री का होता है सपोर्ट...देश में रोज घोटाले होते हैं चाहे वो छोटे हों या फिर बड़े दर्जे के हों, लेकिन जो सामने आ जाते हैं वो घोटाले होते हैं और जो छिप जाते हैं वो फिर कभी सामने नहीं आते, क्योंकि उनके ऊपर किसी संत्री-मंत्री का हाथ होता है, यह बात हम सभी जानते हैं औऱ नेता भी बखूबी जानते हैं। इसके अलावा आपको एक बात से ओर रूबरू कराना चाहूंगा कि अभी तक कई घोटाले सामने आ चुके हैं लेकिन क्या उन घोटालों के पैसे के बारे में किसी नेता या किसी सरकार ने कभी जिक्र किया, जी नहीं क्योंकि वो पैसा तो घोटाले के साथ ही चला गया...कहां गया इसका किसी को भी पता नहीं, या फिर यूं समझा जाएं कि आपस में बांट लिया गया, सरकार जनता से तो हर एक चीज का हिसाब मांगती हैं तो क्या सरकार का फ़र्ज नहीं बनता हिसाब देने का...
मध्यप्रदेश राज्य है चर्चाओं में...
फिलहाल मैं सिर्फ अपने ब्लॉग में मध्यप्रदेश राज्य की बात कर रहा हूं, क्योंकि घोटालों की वजह से मध्यप्रदेश काफी चर्चाओं में रहा है। भले ही सरकार औऱ उनके मंत्री इन घोटालों की आवाजों को दबा चुके हों, लेकिन मुझे यकीनन बहुत तरस आता है कि एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों से कालाधन वापस लाने की बात करते हैं औऱ दूसरी तरफ उन्हीं के मंत्री खुद कालाबाजारी औऱ अपराधियों को सत्ता में सम्मानपूर्वक बैठाकर उनका गुणगान करने से बाज नहीं आते...
जहां एक तरफ खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ समय
पहले विपक्ष में शामिल कांग्रेसी नेता के खिलाफ ज़हर उगलते थे कि वह खनन माफिया
हैं और आज उसी खनन माफिया को बीजेपी में शामिल कर मंत्री का पद दे दिया वाह री
सत्ता का लोभ...वाकई देश बदल रहा है...अब तो शर्म करो...इसे कहते हैं जनता का
भरोसा जीतना...
नीचे मैं कुछ घोटालों का जिक्र कर रहा हूं जिनको काफी समय
तक चर्चा में रखा गया और जिनकी वजह से ईमानदार अफसरों के तबादले तक कर दिए गए और
तो और कत्लेआम भी करवा दिए गए...लेकिन गुनहगार और घोटाले का पैसा अब भी खुलेआम
सलामत है...
नोटबंदी की आड़ में
कटनी में हुआ 500 करोड़ से अधिक का
काला धन सफेद
पूर्वी मध्यप्रदेश के विजयराघौगढ़ के विधायक और मंत्री संजय पाठक का नाम एक्सिस बैंक में 500 करोड़ से अधिक का
काला धन सफेद करने के मामले में सामने आया था, मिली जानकारी के मुताबिक एसपी गौरव तिवारी इस मामले की
जड़ों तक पहुंच गए थे। इसमें संजय पाठक और आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता की संलिप्तता
मिली है। इससे पहले कि मामला अधिक तूल पकड़ता संजय पाठक ने सीएम शिवराज सिंह चौहान
के माध्यम से कटनी के एसपी गौरव तिवारी का ट्रांसफर करवा दिया। कटनी में एसपी गौरव
तिवारी का स्थानांतरण निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलन भी चला लेकिन एसपी गौरव
तिवारी के ट्रांसफर के साथ ही यह आंदोलन भी दबा दिया गया।
बता दें कि संजय पाठक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, उच्च शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण राज्यमंत्री हैं।
माइनिंग कारोबारी संजय पाठक को कुछ साल पहले तक बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता माइनिंग
माफिया कहते थे। संजय पाठक ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और हाल ही में
हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें मंत्री बना
दिया।
बताया जाता है कि संजय पाठक पर जबलपुर के समीप सीहोरा में
अवैध खनन करने के आरोप भी लगे थे। उनकी लीज वर्ष 2007 में ही खत्म हो गई थी, जबकि उन्होंने सन 2012 तक अवैध खनन करना जारी रखा। अब कोई भला सरकार के सपोर्ट
के बिना ऐसा कैसे कर सकता है...
व्यापमं घोटाला
व्यापमं भर्ती घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला है, खुद सीएम शिवराज सिंह विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि 1000 फर्जी भर्तियां की गईं। इस घोटाले की आंच सीएम शिवराज तक भी पहंच चुकी थी। इस घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए जिनमें कुछ लोग तो सलाखों के पीछे पहुंचे और कुछ लोगों की मौत हो गई लेकिन अभी तक इस घोटाले का मास्टरमाइंड हाथ नहीं आया और तो और जिन लोगों की मौत रहस्यमय तरीके से हुई उनकी वजह और कातिलों का भी कोई सुराग तक नही मिला। इस घोटाले की जांच पहले एसटीएफ व एसआईटी ने की, 2400 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हुए, 2100 लोग जेल गए और अब दो साल से जांच सीबीआई के पास है, दुर्भाग्यपूर्ण यह कि अब तक इस मामले से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है...अब इसे क्या समझा जाये...
व्यापमं भर्ती घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला है, खुद सीएम शिवराज सिंह विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि 1000 फर्जी भर्तियां की गईं। इस घोटाले की आंच सीएम शिवराज तक भी पहंच चुकी थी। इस घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए जिनमें कुछ लोग तो सलाखों के पीछे पहुंचे और कुछ लोगों की मौत हो गई लेकिन अभी तक इस घोटाले का मास्टरमाइंड हाथ नहीं आया और तो और जिन लोगों की मौत रहस्यमय तरीके से हुई उनकी वजह और कातिलों का भी कोई सुराग तक नही मिला। इस घोटाले की जांच पहले एसटीएफ व एसआईटी ने की, 2400 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हुए, 2100 लोग जेल गए और अब दो साल से जांच सीबीआई के पास है, दुर्भाग्यपूर्ण यह कि अब तक इस मामले से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है...अब इसे क्या समझा जाये...
राशन महाघोटाला
मध्य प्रदेश के रतलाम में कलेक्टर बी. चंद्रशेखर के तबादले के बाद बहुचर्चित राशन महाघोटाला अब फाइलों में दब गया है, यह वही बहुचर्चित महाघोटाला है जिसमें हर माह एक करोड़ रूपए का अनाज, राशन माफिया खा रहे थे, इस बहुचर्चित घोटाले का खुलासा तत्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने इसी साल मई महीने में किया था। कलेक्टर ने जिले की सभी राशन दुकानों की जांच के आदेश जारी किये थे लेकिन जांच तो दूर, अधिकारी इस महा घोटाले को दबाने में लगे हैं। आलम ये है इस फर्जीवाड़े में अब तक महज एक एफआईआर दर्ज हुई है, जबकि दोषी अफसर और असली गुनहगार अब भी कार्रवाई से कोसो दूर है। गड़बड़ियां मिलने पर कलेक्टर ने शहर की सभी 63 दुकानों की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन ये जांच अब सपना बन कर रह गई है...
शराब ठेकों में घोटाला
शराब ठेकों में 41 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला सामने आने के बाद वाणिज्यिक कर विभाग ने कई अधिकारियों के तबादले कर दिए। विभागीय मंत्री जयंत मलैया ने 6 अधिकारियों को निलंबित करने के साथ 20 के तबादले करने की पुष्टि भी की थी। अब यह बतायें कि क्या तबादले और निलंबित करने से 41 करोड़ रुपये सरकार के खाते में आए या फिर उन अपराधियों को क्या सज़ा दी गई...सरकार ने आसानी से इस घोटाले से परदा झाड़ लिया...
भोपाल के नगर निगमकी वाहन शाखा में हुआ 200 करोड़ रुपये का घोटाला
मध्य प्रदेश के भोपाल नगर निगम में हुए 200 करोड़ रुपये के
घोटाले को उजागर करने वाली ईमानदार आयुक्त छवि भारद्वाज का तबादला कर दिया गया, भोपाल नगर निगम की वाहन शाखा में 200 करोड़ रुपये का
घोटाले को सामने लाने वाली आयुक्त छवि भारद्वाज को अचानक छुट्टी के दिन हटाना, इस बात का प्रमाण है कि इस घोटाले में शामिल
लोगों को मुख्यमंत्री साफतौर पर बचाना चाहते हैं...
मध्यप्रदेश राजस्व विभाग की महिला अधिकारी अमिता सिंह तोमर
ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार किए जा रहे अपने तबादले से परेशान होकर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।
तहसीलदार अमिता का दो दिन पहले ही राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील से सीधी जिले में
तबादला किया गया है। अमिता सिंह तोमर ने आरोप लगाया कि ब्यावरा में उन्होंने जिन
प्रभावशाली लोगों का अतिक्रमण हटाया था, उनके कहने पर सरकार मेरा बार-बार तबादला कर मुझे परेशान कर
रही है। मुझे मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है' शिवराज सरकार में महिलाओं पर यह कैसा अत्याचार हो रहा है, आखिर क्यों आंख बंद कर बैठी है शिवराज
सरकार...एक तरफ सरकार लाड़ली योजना और बेटी बचाओ की बात करती है और दूसरी तरफ मेरे
साथ इस तरह की नाइंसाफी कर रही है...आखिरकार कब तक और क्यों...
वैसे तो सरकार एक अच्छा और नेक काम कर रही है लेकिन सालों
से जो लोग पोषण आहार की सप्लाई का काम कर रहे हैं उनकी जांच सीबीआई से कराई जानी
चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि उनको किनका संरक्षण प्राप्त था। अगर देश में
सीबीआई सो नहीं रही तो वो इस सच्चाई को वाकई उजागर करेगी...
भ्रष्टाचारियों के साथ काम कर रही मध्यप्रदेश सरकार...
पिछले चार साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो भी
कदम उठाए हैं, वह भ्रष्टाचारियों
को बचाने, उन्हें अच्छी पोस्टिंग देने और घोटाले उजागर
करने वाले अधिकारियों को हटाने के लिए उठाए हैं। कटनी के पुलिस अधीक्षक गौरव
तिवारी हों या सतना नगर-निगम के आयुक्त कथूरिया की पोस्टिंग हों, ये दोनों मामले मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में
अंतर के सबूत हैं। इसी तरह श्योपुर में एडीएम वीरेंद्र कुमार को इसलिए हटाया गया, क्योंकि उन्होंने 321 बीघा सरकारी जमीन
पर अवैध रूप से कब्जा किए लोगों को उस जमीन से हटा दिया। सरकार को उनकी यह
कार्रवाई इसलिए रास नहीं आई, क्योंकि जिनके कब्जे
से सरकारी जमीन वापस ली गई, वे भाजपा के हमदर्द
थे...
"इन तथ्यों को मैंने विभिन्न-विभिन्न सूत्रों से बाहर निकाला
है, इसमें जो भी सच्चाई मुझे नज़र आई उसे अपने लेख के माध्यम से साझा किया है। इस
ब्लॉग के अंतर्गत किसी पार्टी विशेष को निशाना नहीं बनाया गया है, जिस तरह से
प्रदेश में लगातार भ्रष्टाचार प्रगति की ओर अग्रसर है, उसे रोकने बावत् मेरी तरफ
से एक छोटी सी पहल की जा रही है...अगर आपको लगता है मैंने जिस तरीके से इस लेख को
आपके सामने रखा है तो कृपया आप लोग राज्य को समृद्ध और प्रगतिशील बनाने के लिए अपनी
राय और कमेंट यहां दे सकते हैं"...
Ghotalo ki sarkar ko sbak sikhane ka koi dusra viklp nhi h MP ki janta ke pas...
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