ब्रजेश जैन, अंतिम अपडेट: शुक्रवार अप्रैल 21, 2017 05:00 PM IST: न्यूजप्वाइंट टीवी
आज सुबह मैं अपने घर से ऑफिस के लिए रवाना हुआ और नोएडा
के ममूरा चौक पहुंचकर रोजाना की तरह ही ऑफिस के लिए रिक्शा लेने गया तब मेरी नजर
अचानक रिक्शे पर बैठे एक मासूम बच्चे पर पड़ी पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन
फिर गुस्से को शांत कर हकीकत जानने का मन किया।
फिर मैंने फारुख से उसके परिवार के बारे में पूछा तो उसने कहा कि मेरे पापा एक
मजदूर हैं जो ईंटें और पत्थर चुनने का काम करते हैं और मेरी मां घर में रहकर चूल्हा
जलाती है और हम लोगों को दो वक्त का खाना खिलाती है।
इसके बाद तो मैं फारुख से कुछ और पूछ ही नहीं सका
क्योंकि मेरे अंदर और इतनी हिम्मत नहीं थी।
इसके बाद क्या था मैं और फारुख एक पल के लिए गमों को भुलाकर खुशी-खुशी एक जगह गन्ने का जूस पीने उतर गए और कुछ तस्वीरें भी हमने एक साथ क्लिक की। जिन तस्वीरों को मैंने आज आप सभी दोस्तों के साथ साझा किया है।
इसके बाद क्या था मैं और फारुख एक पल के लिए गमों को भुलाकर खुशी-खुशी एक जगह गन्ने का जूस पीने उतर गए और कुछ तस्वीरें भी हमने एक साथ क्लिक की। जिन तस्वीरों को मैंने आज आप सभी दोस्तों के साथ साझा किया है।
फारूख खान से मिलकर मुझे आज बहुत
अच्छा लगा और इस बात का अंदेशा हुआ कि किसी का दर्द हमसे भी बड़ा हो सकता है।
"धन्यवाद फारूख खान मेरे साथ अच्छा वक्त बिताने के लिए"
"धन्यवाद फारूख खान मेरे साथ अच्छा वक्त बिताने के लिए"
Life is a struggle... and have faith on yourself & God ....
ReplyDeleteयह सोचने वाली बात है कि हम अपनी छोटी छोटी परेशानियों को लेकर दुखी होते है। ओर दूसरी तरफ फारुख जैसे बच्चे है। इतनी कम उम्र में इतने अच्छे विचार।
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