Monday, 24 December 2018

"परिचय से परिणय की ओर" प्रतिभागियों ने बेबाकी से कहा ऐसा हो मेरा भावी जीवनसाथी



भोपाल : समाज के हित में काम करने वाली संस्था तारण तरण जैन जागृति मंडल, भोपाल और अखिल भारतीय तारण तरण जैन समाज के तत्वावधान में 23 दिसम्बर 2018 रविवार को 9वां परिचय सम्मेलन "परिचय से परिणय की ओर" समस्त समाज के प्रेम, स्नेह, सहयोग, समर्थन, मार्गदर्शन, और आशीर्वाद से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, पिपलानी, भोपाल में किया गया था।

सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलित करने के बाद नन्हीं और प्यारी सी बच्चियों के नृत्य के साथ ही इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई। वो कहते हैं न कि बच्चों में भगवान का वास होता है और किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले हम भगवान का नाम लेते हैं। वीडियो पर क्लिक करें

इसके बाद पर विवाह योग्य युवक-युवतियों के सचित्र बायोडेटा की प्रविष्टियों को समाहित की जाने वाली स्मारिका परिचय से परिणय की ओर’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया। 


इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में विवाह योग्य युवक एवं युवतियों के परिवारों को एक साथ एक मंच के माध्यम से एक-दूसरे से परिचित कराना और दोनों परिवारों में आपसी सहमति बनने पर रिश्ता तय करने की एक छोटी सी कोशिश है।


इस कार्यक्रम में नागपुर, जयपुर, रायपुर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, महाराष्ट्र समेत देश-विदेश से लगभग 3500 से 4000 समाज बंधु शामिल हुये। इस दौरान इच्छुक युवक-युवतियों तथा उनके अभिभावकों ने अपनी पसंद के रिश्ते देखे। परिचय सम्मेलन में शामिल 300 से अधिक विवाह योग्य युवक एवं युवतियों ने मंच पर आत्मविश्वास के साथ होने वाले अपने जीवनसाथी के बारे में इच्छा भी जाहिर की।


इसके बाद माता-पिता सहित प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह के साथ सम्मानित किया गया। ज्ञात हो कि पिछली बार इस आयोजन के कारण 187 सफलतम वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित हुये थे और इस बार भी सेकड़ों की संख्या में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे लोग आपसी परिचय लेते हुये दिखाई दिये। हेमलता जैन रचना ने बताया कि सम्मेलन में देश-विदेश से विवाह के लिये आये लोगों ने बेबाकी से अपनी बात सभी के सामने रखी। 




तारण तरण जैन जागृति मंडल के अध्यक्ष श्री मनोहर लाल जैन ने कहा कि स्मारिका में विवाह योग्य युवक-युवतियों के बारे में विस्तृत जानकारी मौजूद है। स्मारिका में लगभग एक हजार विवाह योग्य युवक-युवतियों के बायोडाटा सचित्र प्रकाशित किये गए हैं। यह तारण तरण दिगम्बर जैन समाज का सर्वाधिक प्रतिष्ठित एकमात्र गरिमामय आयोजन है। जागृति मंडल भोपाल के श्री केशव चंद्र जैन ने बताया कि हमारी संस्था प्रति वर्ष इस तरह के परिचय सम्मेलन आयोजित करती है जिसमें समाज में विवाह योग्य युवक एवं युवतियों के परिवार के लोग शामिल होकर अपने बच्चों के लिए योग्य जीवन साथी चुनते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार भी रिकॉर्ड तोड़ प्रविष्टियां हुई हैं।

इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष श्री मनोहर लाल जी जैन, केशव चंद्र जी जैन, भोपाल कमिश्नर कवींद्र कियावत, श्रीमंत अशोक तारण जी और श्री संतोष जी लोधीखेड़ा समेत कई विशिष्टजनों की मौजूदगी रही। 


आयोजित कार्यक्रम को लगातार लोगों तक समय-सीमा में पहुंचाने वाले 7I न्यूज चैनल से पधारे हमारे वरिष्ठ पत्रकार श्री विनोद तिवारी जी का स्वागत श्री संयम जैन जी, ब्रजेश जैन जी और श्रीमति पारुल जैन जी द्वारा किया गया। 

वहीं जैन जाग्रति मंडल भोपाल की पूरी टीम ने इस कार्यक्रम की नींव रखी और इसकी सफलता का परचम लहराया। तारण तरण जैन जागृति मंडल अध्यक्ष श्री मनोहर लाल जी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। परिचय सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए जाग्रति मंडल के सभी सदस्यों एवं पदाधिकारियों का सम्मान भी किया गया। इस तरह के आयोजन के लिए सभी प्रतिभागियों ने जागृति मंडल भोपाल की पूरी टीम की सराहना की। 

Thursday, 4 October 2018

बीमार न रहेगा अब लाचार, बीमार का होगा मुफ्त उपचार, ये लाइनें सुनने में ही बड़ी अच्छी लगती हैं लेकिन हकीकत यहां जानिए ?

परिवार में न बेटा है, न बेटी, बिना किसी सहारे के अपनी पत्नी को लेकर इलाज़ के लिए निकल पड़ा यह बुजुर्ग, बीते 6-7 दिनों से एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे हैं ये बुजुर्ग दंपति।  कभी गॉर्ड धक्के मारकर अस्पताल परिसर से इस बुजुर्ग दंपति को बाहर निकाल करता है, तो कभी डॉक्टर उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाने को कह देते हैं।

इस देश की ये वाकई बेहद शर्मनाक तस्वीर है, सारी की सारी सरकारी योजनाएं धरातल पर धरी की धरी रह जाती हैं। कहने को तो डॉक्टर भगवान का रूप होता है लेकिन इस बुजुर्ग दंपति के लिए अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों का दिल ज़रा भी नहीं पसीज़ा। इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और जानें कैसे यह बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पत्नी के इलाज़ के लिए इनके सामने हाथ फैलाकर सिसक-सिसक कर रो रहा है। इसकी फ़रियाद को कोई सुनने वाला नहीं यहां, बीमार पत्नी 6-7 दिनों सेे तड़प रही लेकिन अस्पताल और डॉक्टरों को ज़रा भी तरस नहीं आया इस बुजुर्ग दंपति और उसकी बीमार पत्नी पर।

देश में राजनीतिक दल ज़मीनी हकीकत को छुपाने के लिए फर्जी आंकड़ों का सहारा लेते हैं और जनता के सामने अपनी वाहवाही दिखाने के लिए प्रशासन की फ़जीहत करा देते हैं। वो कैसे आइए हम आपको आगे बताते हैं। देश और राज्यों में सरकार द्वारा कई तरह की लुभावनी योजनाएं लागू की जाती हैं। क्या वाकई ज़मीनी स्तर पर इन योजनाओं का लाभ ज़रूरतमंद लोगों को मिल पाता है ? अगर ऐसा होता तो जिस हकीकत को मैं आपके सामने बयां करने जा रहा हूं वह हकीकत आपको झकझोर कर रख देगी।

राजस्थान के अलवर के रहने वाले हैं यह बुजुर्ग दंपति, बीमार पत्नी का इलाज़ कराने की उम्मीद लेकर बुजुर्ग जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल पहुंचे थे। वहां पहुंचने के बाद कुछ ऐसा हुआ, जिसका इस बुजुर्ग दंपति को एहसास भी नहीं होगा कि अस्पताल में तैनात एक गार्ड उन्हें अस्पताल से यूं ही धक्का मारकर बाहर निकाल देगा। वाकई इस देश के लिए यह बेहद चिंताजनक बात है।

उन्हें क्या पता था कि सरकार की बनाई गई योजना उनके लिए है ही नहीं, अगर ऐसा होता तो यह बुजुर्ग दंपति दर व दर अपनी बीमार पत्नी को लेकर यूं ही नहीं भटकता रहता। राजस्थान के जयपुर जैसे शहर में ही गरीब आदमी को इलाज़ के लिए तरसना पड़ रहा है और राजस्थान सरकार सो रही है। तो आप ही सोचिये कि देश के बाकीं हिस्सों का क्या हाल होगा, इसकी तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

अब हम आपको बताते हैं कि किस योजना की उम्मीद लेकर यह बुजुर्ग दंपति अस्पताल पहुंचे थे, किंतु उन्हें योजना का लाभ तो नहीं मिला पर योजना के नाम पर धक्के और शर्मिंदगी का सामना जरूर करना पड़ा।

भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना, जिसकी घोषणा आम बजट 2018 में भारत के माननीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा की गई थी। इस योजना का सबसे बड़ा फायदा देश के 10 करोड़ गरीब परिवार और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को मिलना था लेकिन इस सत्य को देखने के बाद लगता है कि 10 करोड़ तो छोड़िये 10 लोगों को ही मिल जाए तो यही गनीमत होगी।


अब आप स्वयं पढ़ लीजिये कि आयुष्मान भारत योजना से क्या लाभ मिलना था

सरकार के अनुसार इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बेहतर इलाज सुविधा देना हैं, जो कि महँगी स्वास्थ्य सेवाओं को न लेने की वजह से मौत का शिकार हो जाया करते थे। इस योजना के तहत पहले सरकार का 1 लाख रूपए तक की मदद करने वाली थी लेकिन इसे बाद में बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया।

अब आप स्वयं ही फैसला कीजिए कि सरकार की ऐसी योजनाओं का क्या फ़ायदा जिससे धरातल पर नागरिक इसका लाभ ही न ले पाएं, इस देश में योजनाएं तो लाखों हैं पर इसका लाभ कितनों को सही समय पर और सही तरीके से मिलता है ?

Thursday, 27 September 2018

मुनि सुधा सागर के आराध्य श्री गुरु तारण स्वामी और रचित विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रंथों के खिलाफ बिगड़ते बोल...


तारण पंत ने जमकर की आलोचना, जिनवाणी और सभी टी.वी. चैनलों पर प्रसारित मुनि सुधा सागर के प्रवचनों को बैन किया जाए


जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तब वह दिन दूर नहीं जब जैन धर्म की चारों तरफ आलोचना होना निश्चित है। क्योंकि एक साधू का कार्य सभी धर्म बंधुओं को संगठित करने का होता है न कि उसका विभाजन करने का और मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि मुनि सुधा सागर लगातार तारण पंत के गुरूवर के बारे में अनाप-शनाप निंदा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। दिनांक 24 सितंबर 2018 को मुनि सुधा सागर द्वारा तारण स्वामी के विरोध में दिए गए वक्तव्य पर संपूर्ण तारण समाज आहत है। मुनि सुधा सागर ने जिनवाणी टी.वी. चैनल पर जिज्ञासा समाधान के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा तारण स्वामी के सबध में पूछे गये प्रश्न के समाधान में मुनि सुधा सागर ने मिथ्या एंव मनगढन्त बातों से आर्चाय प्रवर श्रीमद् जिन तारण स्वामी के बारे में अनर्गल प्रलाप किया है। वह एक मुनि के लिये शोभनीय नहीं वरन् निंदनीय है।

आखिर ऐसा क्या कहा मुनि सुधा सागर ने...जानें
मुनि सुधा सागर ने पुनः एक बार तारण स्वामी को एक द्रव्य खाने वाला तथा 14 पुस्तकें लिखकर उन्हें जिनवाणी का नाम देने वाला बताया। साथ ही आर्चाय प्रवर श्रीमद् जिन तारण स्वामी द्वारा रचित 14 ग्रन्थों, जिसे तारण पंथी अध्यात्मवाणी / जिनवाणी को जिनेन्द्र भगवान की शुद्व देशना मानते हुये पूजते हैं उस पवित्र ग्रन्थ को अपूज्य एवं मात्र एक किताब की संज्ञा दे डाली।।
  
मुनि सुधा सागर ने पहले भी कई बार गुरुवर श्री 108 तारण तरण मंडलाचार्य महाराज को लेकर भद्दी टिप्पणियां की हैं। जिसकी वजह से जैन समाज में आक्रोश की भावना प्रकट होने लगी है। ये वही जैन समाज है जिसने कभी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया औऱ हमेशा अहिंसा को ही अपना परम धर्म माना है।

मुनि सुधा सागर की वर्षावास ब्रह्मचारी बसंत जी महाराज और आत्मानंद महाराज जी ने भी की कड़ी आलोचना
मुनि सुधा सागर द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी पर वर्षावास ब्रह्मचारी बसंत जी महाराज ने कहा कि अगर तुम प्रशंसा नहीं कर सकते तो तुम्हें बुराई करने का भी कोई अधिकार नहीं है। 

वहीं दूसरी तरफ आत्मानंद जी महाराज कहते हैं कि आचार्य तो बहुत हैं लेकिन मंडलाचार्य कोई नहीं हैं, अगर कोई मडंलाचार्य हैं तो सोलहवीं शताब्दी के महान अध्यात्मवादी संत तारण तरण हैं।

मुनि सुधा सागर ने 05 वर्ष पूर्व जबलपुर में हिन्दू समाज पर की थी अभद्र टिप्पणी
मुनि सुधा सागर ने 05 वर्ष पूर्व जबलपुर में जब अपने एक प्रवचनों के दौरान हिन्दू समाज को दीपावली में लाई लावा चढ़ाने पर बोला था कि यह मुर्दो पर चढ़ाई जाती है तथा आर्चाय प्रवर श्रीमद् जिन तारण स्वामी को मन्दिर की द्रव्य चुराकर खाने वाले बोला था उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप तारण पंथ के कुछ श्रेष्ठिजन जब मुनि जी के पास गये और उनसे अनुरोध करके उक्त वचनों का खण्डन करने को बोला तो उन्होंने अपमानजक भाषा बोलकर श्रेष्ठियों को भी अपमानित किया किन्तु इसके विपरीत जब हिन्दू समाज के लोग उग्रता के साथ उनके पास विरोध करने पहुंचे तो उन्होंने हिन्दू समाज से मांफी मांग कर भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न करने का वचन दिया था।

मुनि सुधा सागर ने ललितपुर में हनुमान जी को कामदेव बताया था
ललितपुर में अपने प्रवास के दौरान मुनि सुधा सागर ने हनुमान जी को कामदेव बताते हुए उनकी अनेकों रानियां होने का दावा किया था, जिस पर हिन्दू संगठनों ने इनकी सभा में उत्पात मचाया और प्रशासन को वहां शांति व्यवस्था कायम करनी पड़ी तो वहां भी इनके द्वारा मांफी मांग कर अपना पल्ला झाड़ा गया।

मुनि सुधा सागर को नहीं है 14 ग्रन्थों का सही ज्ञान
जो व्यक्ति मिथ्या धारणायें पालता है तो उसका यही हाल होता है, यदि उन्होंने बिना किसी पूर्वाग्रह के 14 गर्न्थो का अध्ययन किया होता, तो निश्चय ही उनके ह्रदय का रूपांतरण होता। यदि दृष्टि ही मिथ्या है तो व्यक्ति कितनी भी ऊंचाई पर पहुंच जाए वह गिद्ध की भांति ही रहता है। मुनि सुधा सागर जी का भी यही हाल है। वे नाममात्र के मुनि हैं।

मुनि सुधा सागर खुद देते हैं इस तरह के उपदेश
मुनि सुधा सागर जी उपदेश देते हैं  कि मुनि की निंदा करना महापाप है। तारण स्वामी भी मंडलाचार्य पद पर आसीन थे तो क्या मुनि सुधा सागर को यह पाप नहीं लगेगा।

मुनि सुधा सागर के खिलाफ करेंगे शिकायत दर्ज
इस संदर्भ में इतिहास रत्नाकर पूज्य श्री बाल ब्रह्मचारी बसंत जी महाराज एवं महासभा न्यास के पदाधिकारियों के बीच चर्चा के उपरांत महाराज जी के निर्देशानुसार एक शिकायत पत्र तैयार किया गया है। जिसमें समाज के सभी बंधुओं से आग्रह किया गया है कि इस पत्र में लिखित भाषा के अनुरूप ही आप स्थानीय चैत्यालय समिति के लेटर पैड पर समस्त पदाधिकारियों एवं सामाजिक सदस्यों के हस्ताक्षर करा कर महासभा न्यास के महामंत्री के पते पर कोरियर के द्वारा अतिशीघ्र भेंजें जिससे बिना किसी देरी के आगे की कार्यवाही पूर्ण की जा सके।

तारण पंथी क्या कहते हैं मुनि सुधा सागर के बारे में, यहां पढ़ें...

जब व्यक्ति की दृष्टि मिथ्यात से ग्रसित होती है तब ही वह निंदा का मार्ग अपनाता है। एक मुनि कभी सम्यक दृष्टि मुनिराज पर कलंक नहीं लगाता है। लगता है सुधा सागर मुनि पद की गरिमा क्या है ये नहीं जानते हैं। सुधासागर जी को अपने ज्ञान का अजीर्ण हो रहा है। ऐसे मुनि जिनशासन के मुनि कहलाने योग्य नहीं हैं। ये चमत्कारों पर विश्वास करते हैं। पांच वर्ष पहले भी इनके द्वारा ऐसे ही व्यक्तव्य दिए गए थे। यदि तब हम सब एकजुट होकर उनका विरोध करते तो आज पुन: ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

हम सब को एक होकर वैधानिक चेतावनी देना चाहिये तथा हमारी भावनाएं आहत हुई हैं, इसलिये हमारे पंथ से वे मांफी मांगे। कभी दूसरे पंथ के शिविर हमारे चैत्यालयों में न लगें, तारण पन्थ के ही शिविर लगें। सुधासागर जी को भी कोई हक नहीं है कि बार
-बार हमारे गुरू महाराज की जिनवानी जी की निंदा करें। आप होते कौन है हमारे गुरू महाराज पर उंगली उठाने बाले, आप हमारे गुरू महाराज के बारे में जानते क्या हैं ?

आज का बड़ा सवाल ? अपना जवाब हमें जरूर भेजें
क्या मुनि सुधा सागर द्वारा दिया गया अभद्र बयान एक मुनि के लिये शोभनीय है, क्या वे मुनिपद के योग्य हो सकते हैं ?


Monday, 7 May 2018

समाज़ के लिये दहेज़ एक अभिशाप


कहते हैं कि माता-पिता के लिये बेटियां पराया धन होती हैं
बाबुल का घर छोड़ पिया के घर चली जाती हैं

हर माता-पिता का सपना होता है कि उसकी लाड़ली बिटिया को सुख-संसार मिले, एक अच्छा पति और घर-वार मिले, उसकी बिटिया पर दु:ख की परछाई भी न पड़े और दामन सदा खुशियों से भरा रहे। ऐसी सोच रखने वाले माता-पिता गलत तो नहीं हैं लेकिन शायद वे भूल जाते हैं कि इस समाज़ में कुछ ऐसे दरिंदे भी हैं जो दहेज़ की लालसा रखते हैं।

दिनांक 02 अप्रैल 2018 दिन सोमवार, स्थान दिल्ली, मोहल्ला राजनगर, एक सामान्य वर्ग परिवार, पिता नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और मां घर की देख-रेख में व्यस्त रहती हैं। प्रकाश जी की दो बेटियां हैं, जो शादी के लायक हो चुकी हैं। सोमवार का दिन शाम 6 बजे दरवाजे की घंटी बजती है और आवाज़ आती है, मैं हूं दरवाजा खोलो, घर के मुखिया प्रकाश जी अंदर आते हैं। बड़ी बेटी एक गिलास पानी लेकर आती है और छोटी बेटी चाय बनाने जाती है तभी पिता प्रकाश बोलते हैं राधिका की मां सुनती हो एक खुशख़बरी है, माताजी मुस्कुराते हुए पूछती हैं अब क्या खुशख़बरी लेकर आए हो। प्रकाश जी इस रविवार लड़के वाले आ रहे हैं अपनी बड़ी बेटी राधिका को देखने, तभी राधिका शरमाते हुए घर के अंदर अपने कमरे में चली जाती है और धीरे से दरवाजा बंद कर लेती है।

राधिका की मां कहती है चलो अच्छा हुआ कि राधिका की शादी के लिये रिश्ता आ गया, माता जी पूछती हैं कि कौन है लड़का, क्या करता है, कैसा है, परिवार कैसा है, कहां रहता है, प्रकाश जी कहते हैं रुको भी अब, सब बताता हूं। लड़का नोएडा में किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है, घर में एक बहिन, माता-पिता और एक बड़ा भाई है, उनका पूरा परिवार नोएडा में निवास करता है, खुद का घर है। पिता रिटायर्ड हो चुके हैं वो भी प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे और उनकी पत्नी घर की देख-रेख करती हैं, बड़ा भाई भी प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर है औऱ शादी शुदा है।

8 अप्रैल, रविवार का दिन दोपहर 2 बजे लड़के वाले आते हैं, परिवारों के बीच बातचीत होती है, लड़का-लड़की एक-दूसरे को पसंद कर लेते हैं। दोनों परिवारों की सहमति से शादी फाइनल हो जाती है। फिर क्या अगले महीने 6 मई रविवार के दिन की शादी तय हो जाती है। लड़की का परिवार बहुत खुश होता है और मिठाई खिलाकर दोनों परिवारों का मुंह मीठा कराया जाता है...
तभी लड़के के पिता कहते हैं प्रकाश जी हमारी कुछ शर्तें हैं (शर्तें तो नाम की होती हैं दरअसल यह तो मांगें हैं) प्रकाश जी मुस्कुराते हुए पूछते हैं जी बताइए, तभी लड़के के पिता कहते हैं कि शादी का खर्चा पूरा हम उठाएंगें और आप सिर्फ हमें 10 लाख कैश, बर्तन भाड़े औऱ कुछ घर ग्रस्ती का सामान और एक फोर व्हीलर गाड़ी 8-10 लाख तक की। प्रकाश जी और उनकी पूरी फैमिली यह बात सुनकर सन्न रह जाती है लेकिन पिता प्रकाश मुस्कुराते हुए कहते हैं जी आपकी सारी शर्तें हमें मंजूर हैं। फिर क्या खुशी-खुशी लड़के वाले खाना-खाकर घर से चले जाते हैं।

थोड़ी देर बाद घर में सन्नाटा सा...
लड़के वालों के जाते ही घर में सन्नाटा सा पसर जाता है और राधिका की मां कहती हैं कि आपने हां तो कर दिया पर इतने पैसे का इंतजाम कैसे होगा और आप गाड़ी कहां से लेकर आएंगे, तभी पिता प्रकाश कहते हैं सब हो जाएगा मैं हूं न और वैसे भी हमारी बेटी राधिका बहुत खुश रहेगी वहां। आजकल तो लोग बहुत ज्यादा मांग कर देते हैं उन्होंने तो हमसे सिर्फ इतना ही मांगा है और वैसे भी लड़का जॉब करता है खुद का घर है और क्या चाहिए। लड़की की मां कहती है अभी हमारी दूसरी बेटी भी है शादी के लायक तब हम कहां से उसकी शादी करेंगे, पिता प्रकाश कहते हैं अभी एक की हो जाए तो दूसरी की भी हो जाएगी।

शादी का दिन...
6 अप्रैल, दिन रविवार आज राधिका की शादी हो गई और शर्त के अनुसार बेटी के पिता ने लड़की वालों की सारी मांगें पूरी करते हुए अपना वचन निभाया।

एक महीने बाद...
आधी रात में बेटी राधिका का फोन आता है और पिता प्रकाश फोन उठाते हैं बेटी राधिका सिसकते सिसकते आंसुओं के साथ बात करती है और कहती है पिता जी मुझे यहां से ले जाओ तो प्रकाश जी पूछते हैं सब ठीक तो है बेटी...नहीं पिता जी बस आप मुझे यहां से जल्दी ले जाओ...

अगले दिन पिता प्रकाश लड़के को फोन करते हैं और पूछते है कि कोई बात हुई है क्या बेटा,,,लड़का हां मुझे 10 लाख रुपये चाहिए नहीं तो अपनी बेटी को ले जाओ तभी पिता प्रकाश कहते हैं नहीं बेटा ऐसा मत कहो, जैसा तुम्हारे पिता जी ने कहा था वैसा ही हमने किया फिर अब 10 लाख किस बात के औक कहां से लेकर आऊं। मैंने पहले का लिया हुआ उधार तो अभी चुकाया नहीं है अब इतनी बड़ी रकम किससे मांगूगा बेटे, थोड़ा समय चाहिए फिर कर दूगा. लड़का मैं नहीं जानता कहीं से भी लाओ मुझे एक हफ्ते में पैसे चहिए नहीं तो समझ लेना...
पिता प्रकाश बहुत ही परेशान तभी उनकी पत्नी ने सारी बातें पूछी तब प्रकाश जी ने दु:खी होकर सारी आपबीती सुनाई तो मां भी सुनकर हैरान रह गई। 

एक हफ्ते बाद फोन आया कि पापा मैं जा रही हूं...
आधी रात में फिर से फोन की घंटी बजती है और शब्द होते हैं पापा मैं जा रही हूं अपना औऱ परिवार का ध्यान रखना...थैंक्यू पापा

अगले ही दिन पिता दिल्ली से नोएडा के लिये रवाना होते हैं और वहां पहुंचते ही बेटी की लाश देखते ही ज़मीन पर गिर जाते हैं और फूट-फूट कर रोने लगते हैं।

आखिर क्या गलत़ी थी उस बेटी की, उसका भला सोचने वाले उस पिता की अगर आपको समझ आ जाए तो इसके खिलाफ आवाज़ उठाओ न कि दहेज़ को बढ़ावा दो...कानून है लेकिन उसका उपयोग हम नहीं करते या करना नहीं चाहते, क्योंकि दहेज़ एक प्रथा है...
लेकिन मैं कहता हूं हमारे समाज़ के लिये दहेज़ एक अभिशाप है...