Tuesday, 26 September 2017

“जल ही जीवन है” जल के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है...

ब्रजेश जैन, अंतिम अपडेट : मंगलवार, 26 सितंबर, 2017


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के अनमोल विचार :
    “यदि हम लोग जल संरक्षण के प्रति गम्भीर नहीं हुए तो तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिये होगा।




जल है तो कल है, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं जल ही जीवन है। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किन्तु इसमें से 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 95 लाख लीटर पानी रोज बर्बाद हो रहा है।

नगरीकरण और औद्योगिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।

पानी जीवनदाता है, खेती खूब कराता है, पानी पी हम प्यास बुझाते
पानी से बर्तन मंजवाते, कपड़े धोते पानी से, खूब नहाते पानी से
पानी से घर को धुलवाते, आग बुझाते पानी से.


आगामी वर्षों में जल संकट की समस्या और अधिक विकराल हो जाएगी, ऐसा मानना है विश्व आर्थिक मंच का। इसी संस्था की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दुनियाभर में 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग पानी की कमी की संकटों से जूझ रहे हैं। 22 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व जल दिवसमहज औपचारिकता नहीं है, बल्कि जल संरक्षण का संकल्प लेकर अन्य लोगों को इस संदर्भ में जागरुक करने का एक दिन है।

शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता और संबंधित ढेरों समस्याओं को जानने के बावजूद देश की बड़ी आबादी जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं है। जहां लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है, वहां लोग जल की महत्ता को समझ रहे हैं, लेकिन जिसे बिना किसी परेशानी के जल मिल रहा है, वे ही बेपरवाह नजर आ रहे हैं। आज भी शहरों में फर्श चमकाने, गाड़ी धोने और गैर-जरुरी कार्यों में पानी को निर्ममतापूर्वक बहाया जाता है।

प्रदूषित जल में आर्सेनिक, लौहांस आदि की मात्रा अधिक होती है, जिसे पीने से तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में 86 फीसदी से अधिक बीमारियों का कारण असुरक्षित व दूषित पेयजल है। वर्तमान में करीब 1600 जलीय प्रजातियां जल प्रदूषण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं, जबकि विश्व में करीब 1.10 अरब लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं और साफ पानी के बगैर अपना गुजारा कर रहे हैं।

धरती पर धीरे-धीरे जलाशय का स्तर नीचे गिरता जा रहा है, आने-वाले लगभग 30-40 सालों के बाद एक समय ऐसा भी आयेगा जब हमारी पीढ़ी के लिए धरती की 150 फीट की गहराई मे भी पानी की एक बूंद तक नही मिलेगी। आज, तकरीबन 78 करोड़ लोगों को स्वच्छ पेय जल नहीं मिल पाता और करीब 4000 बच्चे रोजाना गंदे पानी या पर्याप्त स्वच्छता की कमी के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं।

ऐसी स्थिति सरकार और आम जनता दोनों के लिए चिंता का विषय है। इस दिशा में अगर त्वरित कदम उठाते हुए सार्थक पहल की जाए तो स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में रखी जा सकती है, अन्यथा अगले कुछ वर्ष हम सबके लिए चुनौतिपूर्ण साबित होंगे।

लोरान आइजली (अमेरिकी विज्ञान लेखक) के विचार :
                                  “हमारी पृथ्वी पर अगर कोई जादू है, तो वह जल है। 

Monday, 18 September 2017

अगर भारत है “सोने की चिड़िया” तो मध्यप्रदेश राज्य को कह सकते हैं “घोटालों की चिड़िया” ये बात कुछ हज़म नहीं हुई, पर हकीकत यही है...


ब्रजेश जैन, अंतिम अपडेट : सोमवार, 18 सितंबर, 2017


मैं किसी पार्टी के खिलाफ ज़हर नहीं उगल रहा हूं मेरे लिए वो तमाम नेता/अधिकारीगण अपराधी हैं जो कि इस घोटाले शब्द का हिस्सा हैं, चाहे वो कांग्रेस, बीजेपी का हो या फिर किसी दूसरी/अन्य पार्टी का, हैं तो सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे, लेकिन झेलता आम इंसान ही है”...

नई दिल्ली : आप सोच रहे होंगे कि मैंने अपने ब्लॉग में इस तरह की आपत्तिजनक टैगलाइन का प्रयोग क्यों किया है, पर मुझे भी बहुत अफसोस हो रहा है, आपको बताते हुए, जोकि आप इस सच्चाई को बखूबी जानते भी हैं, लेकिन वाकई अफसोस हमें करना चाहिए या फिर मध्यप्रदेश सरकार में बैठे उन दागी मंत्रियों/अफसरों को जो ईमानदारी से काम करने वाले नागरिकों को घोटाले में शामिल करने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उन्हें उकसाते हुए इसका भागीदार भी बनाते हैं, और जब वह ऐसा करने में नाकामयाब होते हैं, तो उनका तबादला या कत्लेआम करा देते हैं...

यही सच्चाई है आप इस पर यकीन करें या फिर...
पिछले कई सालों से इन नेताओं की जुमले बाजी सुनकर मेरे कान में दर्द होने लगा, तो सोचा कि अब थोड़ा दर्द इन्हें भी दे दूं ताकि कुछ एहसास इन्हें भी हो जाए...कि आम आदमी का दर्द कैसा होता है, इसलिए मैंने घोटाले जैसे बड़े विषय पर सच्चाई को आइने पर उतारने की कोशिश की है...हालांकि इस विषय पर बहुत लोगों ने बहुत कुछ लिखा है पर बदलाव फिर भी नहीं आया, लेकिन मैं ऐसा नहीं कहता कि मेरे लिखने से कोई बदलाव आएगा, परंतु किसी के जले पर नमक तो गिरेगा ही...
मैंने इस विषय पर लिखने से पहले इसके बारे में बहुत सोचा, समझा और पढ़ा, तब जाकर इस भयानक सच के बारे में यकीन जल्दी हो गया औऱ सच को जल्द ही जान लिया...यकीन इसलिए हो गया क्योंकि भष्टाचार हमारे समाज का एक हिस्सा बन चुका है और जिस पर लगाम लगाना किसी के वश में नहीं है...
संती-मंत्री का होता है सपोर्ट...

देश में रोज घोटाले होते हैं चाहे वो छोटे हों या फिर बड़े दर्जे के हों, लेकिन जो सामने आ जाते हैं वो घोटाले होते हैं और जो छिप जाते हैं वो फिर कभी सामने नहीं आते, क्योंकि उनके ऊपर किसी संत्री-मंत्री का हाथ होता है, यह बात हम सभी जानते हैं औऱ नेता भी बखूबी जानते हैं। इसके अलावा आपको एक बात से ओर रूबरू कराना चाहूंगा कि अभी तक कई घोटाले सामने आ चुके हैं लेकिन क्या उन घोटालों के पैसे के बारे में किसी नेता या किसी सरकार ने कभी जिक्र किया, जी नहीं क्योंकि वो पैसा तो घोटाले के साथ ही चला गया...कहां गया इसका किसी को भी पता नहीं, या फिर यूं समझा जाएं कि आपस में बांट लिया गया, सरकार जनता से तो हर एक चीज का हिसाब मांगती हैं तो क्या सरकार का फ़र्ज नहीं बनता हिसाब देने का... 

मध्यप्रदेश राज्य है चर्चाओं में...

फिलहाल मैं सिर्फ अपने ब्लॉग में मध्यप्रदेश राज्य की बात कर रहा हूं, क्योंकि घोटालों की वजह से मध्यप्रदेश काफी चर्चाओं में रहा है। भले ही सरकार औऱ उनके मंत्री इन घोटालों की आवाजों को दबा चुके हों, लेकिन मुझे यकीनन बहुत तरस आता है कि एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों से कालाधन वापस लाने की बात करते हैं औऱ दूसरी तरफ उन्हीं के मंत्री खुद कालाबाजारी औऱ अपराधियों को सत्ता में सम्मानपूर्वक बैठाकर उनका गुणगान करने से बाज नहीं आते...

जहां एक तरफ खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ समय पहले विपक्ष में शामिल कांग्रेसी नेता के खिलाफ ज़हर उगलते थे कि वह खनन माफिया हैं और आज उसी खनन माफिया को बीजेपी में शामिल कर मंत्री का पद दे दिया वाह री सत्ता का लोभ...वाकई देश बदल रहा है...अब तो शर्म करो...इसे कहते हैं जनता का भरोसा जीतना...
नीचे मैं कुछ घोटालों का जिक्र कर रहा हूं जिनको काफी समय तक चर्चा में रखा गया और जिनकी वजह से ईमानदार अफसरों के तबादले तक कर दिए गए और तो और कत्लेआम भी करवा दिए गए...लेकिन गुनहगार और घोटाले का पैसा अब भी खुलेआम सलामत है...

नोटबंदी की आड़ में कटनी में हुआ 500 करोड़ से अधिक का काला धन सफेद
पूर्वी मध्यप्रदेश के विजयराघौगढ़ के विधायक और मंत्री संजय पाठक का नाम एक्सिस बैंक में 500 करोड़ से अधिक का काला धन सफेद करने के मामले में सामने आया था, मिली जानकारी के मुताबिक एसपी गौरव तिवारी इस मामले की जड़ों तक पहुंच गए थे। इसमें संजय पाठक और आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता की संलिप्तता मिली है। इससे पहले कि मामला अधिक तूल पकड़ता संजय पाठक ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के माध्यम से कटनी के एसपी गौरव तिवारी का ट्रांसफर करवा दिया। कटनी में एसपी गौरव तिवारी का स्थानांतरण निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलन भी चला लेकिन एसपी गौरव तिवारी के ट्रांसफर के साथ ही यह आंदोलन भी दबा दिया गया।

बता दें कि संजय पाठक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, उच्च शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण राज्यमंत्री हैं। माइनिंग कारोबारी संजय पाठक को कुछ साल पहले तक बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता माइनिंग माफिया कहते थे। संजय पाठक ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें मंत्री बना दिया।

बताया जाता है कि संजय पाठक पर जबलपुर के समीप सीहोरा में अवैध खनन करने के आरोप भी लगे थे। उनकी लीज वर्ष 2007 में ही खत्म हो गई थी, जबकि उन्होंने सन 2012 तक अवैध खनन करना जारी रखा। अब कोई भला सरकार के सपोर्ट के बिना ऐसा कैसे कर सकता है...

व्यापमं घोटाला

व्यापमं भर्ती घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला है, खुद सीएम शिवराज सिंह विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि 1000 फर्जी भर्तियां की गईं। इस घोटाले की आंच सीएम शिवराज तक भी पहंच चुकी थी। इस घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए जिनमें कुछ लोग तो सलाखों के पीछे पहुंचे और कुछ लोगों की मौत हो गई लेकिन अभी तक इस घोटाले का मास्टरमाइंड हाथ नहीं आया और तो और जिन लोगों की मौत रहस्यमय तरीके से हुई उनकी वजह और कातिलों का भी कोई सुराग तक नही मिला। इस घोटाले की जांच पहले एसटीएफ व एसआईटी ने की, 2400 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हुए, 2100 लोग जेल गए और अब दो साल से जांच सीबीआई के पास है, दुर्भाग्यपूर्ण यह कि अब तक इस मामले से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है...अब इसे क्या समझा जाये...


राशन महाघोटाला

मध्य प्रदेश के रतलाम में कलेक्टर बी. चंद्रशेखर के तबादले के बाद बहुचर्चित राशन महाघोटाला अब फाइलों में दब गया है, यह वही बहुचर्चित महाघोटाला है जिसमें हर माह एक करोड़ रूपए का अनाज, राशन माफिया खा रहे थे, इस बहुचर्चित घोटाले का खुलासा तत्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने इसी साल मई महीने में किया था। कलेक्टर ने जिले की सभी राशन दुकानों की जांच के आदेश जारी किये थे लेकिन जांच तो दूर, अधिकारी इस महा घोटाले को दबाने में लगे हैं। आलम ये है इस फर्जीवाड़े में अब तक महज एक एफआईआर दर्ज हुई है, जबकि दोषी अफसर और असली गुनहगार अब भी कार्रवाई से कोसो दूर है। गड़बड़ियां मिलने पर कलेक्टर ने शहर की सभी 63 दुकानों की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन ये जांच अब सपना बन कर रह गई है...



शराब ठेकों में घोटाला

शराब ठेकों में 41 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला सामने आने के बाद वाणिज्यिक कर विभाग ने कई अधिकारियों के तबादले कर दिए। विभागीय मंत्री जयंत मलैया ने 6 अधिकारियों को निलंबित करने के साथ 20 के तबादले करने की पुष्टि भी की थी। अब यह बतायें कि क्या तबादले और निलंबित करने से 41 करोड़ रुपये सरकार के खाते में आए या फिर उन अपराधियों को क्या सज़ा दी गई...सरकार ने आसानी से इस घोटाले से परदा झाड़ लिया...



भोपाल के नगर निगमकी वाहन शाखा में हुआ 200 करोड़ रुपये का घोटाला

मध्य प्रदेश के भोपाल नगर निगम में हुए 200 करोड़ रुपये के घोटाले को उजागर करने वाली ईमानदार आयुक्त छवि भारद्वाज का तबादला कर दिया गया, भोपाल नगर निगम की वाहन शाखा में 200 करोड़ रुपये का घोटाले को सामने लाने वाली आयुक्त छवि भारद्वाज को अचानक छुट्टी के दिन हटाना, इस बात का प्रमाण है कि इस घोटाले में शामिल लोगों को मुख्यमंत्री साफतौर पर बचाना चाहते हैं...



मध्यप्रदेश राजस्व विभाग की महिला अधिकारी अमिता सिंह तोमर ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार किए जा रहे अपने तबादले से परेशान होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है। तहसीलदार अमिता का दो दिन पहले ही राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील से सीधी जिले में तबादला किया गया है। अमिता सिंह तोमर ने आरोप लगाया कि ब्यावरा में उन्होंने जिन प्रभावशाली लोगों का अतिक्रमण हटाया था, उनके कहने पर सरकार मेरा बार-बार तबादला कर मुझे परेशान कर रही है। मुझे मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है' शिवराज सरकार में महिलाओं पर यह कैसा अत्याचार हो रहा है, आखिर क्यों आंख बंद कर बैठी है शिवराज सरकार...एक तरफ सरकार लाड़ली योजना और बेटी बचाओ की बात करती है और दूसरी तरफ मेरे साथ इस तरह की नाइंसाफी कर रही है...आखिरकार कब तक और क्यों...

आंगनबाड़ी के नाम पर वहां पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों को पोषण आहार वितरण किया जाता है। बता दें कि सरकार के साथ कंपनियों का करार 31 मार्च 2017 को ही खत्म हो चुका है। मगर स्थगन की आड़ में यह कारोबार अब तक जारी रहा। प्रदेश में हर साल कुपोषित बच्चों के पोषण आहार पर 1200 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। यानी कि आंगनबाड़ियों के पोषण आहार वितरण की बदौलत कपनियां अच्छी खासी कमाई करने में लगी हुई हैं।

वैसे तो सरकार एक अच्छा और नेक काम कर रही है लेकिन सालों से जो लोग पोषण आहार की सप्लाई का काम कर रहे हैं उनकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि उनको किनका संरक्षण प्राप्त था। अगर देश में सीबीआई सो नहीं रही तो वो इस सच्चाई को वाकई उजागर करेगी...

भ्रष्टाचारियों के साथ काम कर रही मध्यप्रदेश सरकार...
पिछले चार साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो भी कदम उठाए हैं, वह भ्रष्टाचारियों को बचाने, उन्हें अच्छी पोस्टिंग देने और घोटाले उजागर करने वाले अधिकारियों को हटाने के लिए उठाए हैं। कटनी के पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी हों या सतना नगर-निगम के आयुक्त कथूरिया की पोस्टिंग हों, ये दोनों मामले मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में अंतर के सबूत हैं। इसी तरह श्योपुर में एडीएम वीरेंद्र कुमार को इसलिए हटाया गया, क्योंकि उन्होंने 321 बीघा सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किए लोगों को उस जमीन से हटा दिया। सरकार को उनकी यह कार्रवाई इसलिए रास नहीं आई, क्योंकि जिनके कब्जे से सरकारी जमीन वापस ली गई, वे भाजपा के हमदर्द थे...



"इन तथ्यों को मैंने विभिन्न-विभिन्न सूत्रों से बाहर निकाला है, इसमें जो भी सच्चाई मुझे नज़र आई उसे अपने लेख के माध्यम से साझा किया है। इस ब्लॉग के अंतर्गत किसी पार्टी विशेष को निशाना नहीं बनाया गया है, जिस तरह से प्रदेश में लगातार भ्रष्टाचार प्रगति की ओर अग्रसर है, उसे रोकने बावत् मेरी तरफ से एक छोटी सी पहल की जा रही है...अगर आपको लगता है मैंने जिस तरीके से इस लेख को आपके सामने रखा है तो कृपया आप लोग राज्य को समृद्ध और प्रगतिशील बनाने के लिए अपनी राय और कमेंट यहां दे सकते हैं"...