ब्रजेश जैन, अंतिम अपडेट: बुधवार मार्च 15, 2017 04:58 PM IST: न्यूजप्वाइंट टीवी
पांच राज्यों के
नतीजे आने के बाद ईवीएम पर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है, भारत में पहली बार ऐसा नहीं हुआ है। इसके पहले भी कई देशों में ईवीएम मशीन पर
ऊंगलियाँ उठ चुकीं हैं। सिर्फ भारत ही नहीं विदेशों में भी ईवीएम को लेकर कई विवाद
जुड़े हैं। कई देशों ने तो ईवीएम के चलते चुनावों पर सवाल खड़े होने के बाद ईवीएम
के इस्तेमाल पर ही रोक लगा दी।
वहीं कुछ देशों
ने चुनावों को विवादों से दूर रखने के लिए अभी तक ईवीएम का इस्तेमाल ही नहीं किया
है। देश में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) वर्ष 2009 में लोकसभा चुनावों के
बाद पहली बार विवादों में आई थी। चुनावों के नतीजे सामने आते ही वरिष्ठ भाजपा नेता
लालकृष्ण आडवाणी और सुब्रमण्यम स्वामी ने ईवीएम के जरिए चुनावों में धांधली का
आरोप लगाया था।
केजरीवाल ने उठाए
पंजाब चुनाव परिणामों पर सवाल
दिल्ली के
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के खराब
प्रदर्शन के पीछे की वजह ईवीएम में गड़बड़ी है। केजरीवाल ने कहा कि ‘आप’ के खाते में आने वाले लगभग 20 से 25 फीसदी वोट अकाली-भाजपा गठबंधन को ‘चले गए हैं’। केजरीवाल ने
कहा कि आम आदमी पार्टी को महज 20 सीटें मिलना समझ से परे है और यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की
विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल है।
बीएमसी चुनाव में
भी उठ चुके हैं ईवीएम पर सवाल
एक रिपोर्ट के
मुताबिक मतदाताओं ने बसपा के प्रत्याशी को वोट दिया था लेकिन वो मत भाजपा
उम्मीदवार के पक्ष में चले गए। दरअसल यह सवाल इसलिए भी लाजमी है क्योंकि हाल ही
में बीएमसी चुनाव में एक ऐसा ही मामला सामने आया था जब एक निर्दलीय प्रत्याशी
श्रीकांत शिरसत ने राज्य निर्वाचन आयोग से बीएमसी चुनाव के नतीजों पर सवाल उठाए
थे। उम्मीदवार का कहना था कि उसने और उसके परिजनों द्वारा खुद के लिए वोट करने के
बावजूद उन्हें शून्य वोट मिला। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है इससे साफ प्रतीत होता है
कि ईवीएम मशीन से कुछ तो छेड़छाड़ की गई होगी। वार्ड नंबर 164 से चुनाव लड़े निर्दलीय
प्रत्याशी श्रीकांत शिरसत ने निर्वाचन आयोग से इस मामले की शिकायत भी की थी। अपनी
शिकायत में उन्होंने कहा था कि उनके वार्ड से अन्य उम्मीदवार वोटों की गिनती में गड़बड़ी
हुई है।
मायावती का भी ईवीएम
में गड़बड़ी का आरोप
ये दूसरा मौका है
जब 11 मार्च यूपी विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम पर के साथ छेड़छाड़ का करने का आरोप लगाया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और लालू प्रसाद यादव भी मायावती के आरोपों के साथ
सुर से सुर मिला रहे हैं।
उत्तर प्रदेश
विधानसभा चुनाव के चौंकाने वाले नतीजों पर बसपा प्रमुख मायावती ने सवाल खड़े करते
हुए कहा कि मुस्लिम बहुल इलाकों में जिस तरह से परिणाम सामने आए हैं उससे इस बात
की आशंका है कि ईवीएम में गड़बड़ी की गई थी। उनका कहना है कि किसी भी बटन पर वोट
देने से वोट भाजपा को मिल रहे थे।
पहला मौका था जब
ईवीएम विवादों में आई
देश में ये पहला
मौका था जब ईवीएम विवादों में आई थी, दूसरी बार गुजरात
विधानसभा चुनावों के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पर ईवीएम के साथ
छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए थे। वैसे तो चुनावों के दौरान भाजपा गुजरात में पहले
नम्बर की पार्टी बनी थी लेकिन स्वामी का कहना था कि अगर कांग्रेस पार्टी ने ईवीएम
के साथ छेड़छाड़ नहीं की होती तो भाजपा को गुजरात में 35 सीट और मिल जातीं।
स्वामी अपनी
शिकायत को लेकर पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट
इस दौरान सुब्रमण्यम
स्वामी अपनी शिकायत को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चले गए, ईवीएम के विवादों में आते ही एक और व्यक्ति ने सुप्रीम
कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कुछ समय बाद कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को निर्देश
जारी कर दिए गए कि ईवीएम पर मतदाताओं का भरोसा बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए
जाएं। इसके बाद चुनाव आयोग ने फोटो वोटर स्लिप तकनीक का प्रयोग करने की बात कही
लेकिन ये अलग बात है कि आयोग इस पर पूरी तरह से अभी तक अमल नहीं कर पाया है। इस
चुनाव में भी ग्रामीण क्षेत्र को पूरी तरह से छोड़ते हुए शहर की भी सिर्फ कुछ ही
सीट पर फोटो वोटर स्लिप तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
विदेशों में ईवीएम
मशीन बैन
अगर बात विदेशों
की करें तो इंग्लैंड और फ्रांस ने तो अपने यहां ईवीएम का इस्तेमाल ही नहीं किया।
ईवीएम में पारदर्शिता न होने का आरोप लगाते हुए जर्मनी में बैन कर दी गई।
नीदरलैण्ड ने भी जर्मनी के कदम पर चलते हुए ईवीएम बैन कर दी। ईवीएम के नतीजों को
आसानी से बदला जा सकता है, ये आरोप लगाते हुए इटली ने भी ईवीएम को चुनाव प्रक्रिया
से हटा दिया। आयरलैण्ड ने तो ईवीएम को संवैधानिक चुनावों के लिए बड़ा खतरा बताते
हुए बैन भी कर दिया। बिना पेपर ट्रेल के यूएस के कैलिफोर्निया सहित दूसरे राज्यों
ने ईवीएम का इस्तेमाल करने से मना कर दिया था।
इन सभी बातों से सिर्फ
एक ही जवाब सामने निकलकर आता है कि विदेशों के साथ-साथ हमारे देश में भी राजनैतिक
दलों का ईवीएम मशीन से विश्वास डगमगाता हुआ दिखाई रहा है। अब इस विश्वास को कायम
रखना चुनाव आयोग के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।
Even I want to ban on EVM machines because it gets some doubts on results....
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